तू क्यूँ घबराया और व्याकुल सा रण छोड़ भागने मे है आकुल सा मैं ही परम सत्य, मै ही हूं झूंठ मैं ही हूं चरणामृत में, हूं मैं जूंठ ऊपर उठा दृष्टि, अंबर भी हूं मै हर गोचर सा आडम्बर हूं मै मुझसे से है रीति और रति मैं हूं नश्वर और हूं श्वास गति नभ सा हूं व्यापक, हूं कंकण मैं सहस्र सदी सा और हूं क्षण मैं मोह सा मादक, क्रोध की ज्वाला हूं मैं ही हूं भूख तेरी, और निवाला हूं कुछ और समझ न आये तो सुन मैं ही हूं ब्रम्हांड, मैं ही तो ग्वाला हूं तुम हरो भले न प्राण किसी के पर मैं न मोह में आने वाला हूं है अधर्म जहां, सदा रहा वो रण मेरा मैं ही उसका निर्णायक हूं ऊठा धनुष, चढा प्रत्यंचा,भेद न कर मैं ही हूं पापी जग में और पुण्य सदा ऐ पार्थ, तू धर्म ध्वजा का वाहक बन होगा श्रापित इसमें कुल मेरा है अधर्म जहां, सदा रहेगा रण मेरा।। ©Aavran #Krishna bhakti Kalki Hinduism #aavran #life #lifeisbeautiful #lifequotes #Krishna-Arjun #dharma