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हमारे कर्तव्य और अधिकार, ज़िन्दगी को दो खंभ हैं

हमारे कर्तव्य  और  अधिकार, ज़िन्दगी को  दो खंभ हैं,
जीवन के अट्टालिकाओं के मजबूत, आधार हैं स्तंभ हैं।



अपने  कर्तव्यों से  विमुख  होकर, अधिकार  जताते हैं,
फल प्राप्ति की लोलुपता में, कर्तव्यों को  भूल जाते हैं। कृप्या हमारी पिन पोस्ट अवश्य पढ़ें।🙏

नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: आपको केवल 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।
हमारे कर्तव्य  और  अधिकार, ज़िन्दगी को  दो खंभ हैं,
जीवन के अट्टालिकाओं के मजबूत, आधार हैं स्तंभ हैं।



अपने  कर्तव्यों से  विमुख  होकर, अधिकार  जताते हैं,
फल प्राप्ति की लोलुपता में, कर्तव्यों को  भूल जाते हैं। कृप्या हमारी पिन पोस्ट अवश्य पढ़ें।🙏

नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: आपको केवल 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।