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देख लिया तुम्हारी नज़र से, आयेंगे ना अब तुम्हारे


देख लिया तुम्हारी नज़र से, आयेंगे ना अब  तुम्हारे शहर में,
महकती शाम, एहसास के गाम साथ होंगे तुम्हारे सफ़र में। 

हमारी वीरान दिल की नगरी में, आन बसना तुम ही कभी,
कल और कल का क्या करना,हूँ मैं आज तुम्हारे गुज़र में।

सोचा था, बस वो, ना, बाद, लफ़्ज़ हैं बातें टालने के लिए, 
तुम मानो या ना मानो, होते हैं हमीं हमेशा, तुम्हारे मगर में। 

अभी हमें भुलाके करोगे जो बाद में याद तो क्या पाओगे? 
गुज़ार के चंद लम्हे संग,ताउम्र मिलेंगे हम तुम्हारे हजर में। 

हक, हक से दिया जाता है 'धुन' माँगा, छीना जाता नहीं, 
कुछ हिस्सा ही सही, पर मिलेगा हमें भी तुम्हारे समर में।
-संगीता पाटीदार 'धुन'

 गाम- क़दम 
हजर- आगोश, बग़ल 
समर- हिसाब


Rest Zone #rztask88 #restzone #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #feelings #rzhindi

देख लिया तुम्हारी नज़र से, आयेंगे ना अब  तुम्हारे शहर में,
महकती शाम, एहसास के गाम साथ होंगे तुम्हारे सफ़र में। 

हमारी वीरान दिल की नगरी में, आन बसना तुम ही कभी,
कल और कल का क्या करना,हूँ मैं आज तुम्हारे गुज़र में।

सोचा था, बस वो, ना, बाद, लफ़्ज़ हैं बातें टालने के लिए, 
तुम मानो या ना मानो, होते हैं हमीं हमेशा, तुम्हारे मगर में। 

अभी हमें भुलाके करोगे जो बाद में याद तो क्या पाओगे? 
गुज़ार के चंद लम्हे संग,ताउम्र मिलेंगे हम तुम्हारे हजर में। 

हक, हक से दिया जाता है 'धुन' माँगा, छीना जाता नहीं, 
कुछ हिस्सा ही सही, पर मिलेगा हमें भी तुम्हारे समर में।
-संगीता पाटीदार 'धुन'

 गाम- क़दम 
हजर- आगोश, बग़ल 
समर- हिसाब


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