कभी सावरकर सा सोचो, कभी सावरकर सा तप के देखो, कभी सावरकर का त्याग देखो, कभी सावरकर सा काले पानी सा सजा पा के देखो, कभी सावरकर सा भारत भूमि से प्रेम कर के देखो, कभी सावरकर सा मर के देखो, कभी सावरकर सा बन के देखो, कभी सावरकर में खुद को देखो, मातृ भूमि से प्रेम क्या होता है, ये सावरकर से सिखो प्रखर राष्ट्रवादी एवं महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर वीर सावरकर जी की जयंती पर उनके चरणों पे कोटी कोटी नमन 🙏🏻 ©Writer Abhishek Anand 96 #kitaabein सावरकर सा सोचो