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यह इत्तेफाक ही था कि तुमसे मुलाकात हुई। छोटी सी उस

यह इत्तेफाक ही था कि तुमसे मुलाकात हुई।
छोटी सी उस मुलाकात में बेहिसाब बात हुई।।

आजकल सोचता ज्यादा हूं लिखता कम हूं।
तुमसे फिर मिलने के लिए मैं बहुत बैचेन हूं।।

याद कर तुम्हे आज इन आंखों से बरसात हुई।
मेरे लिए सुहानी भोर भी,काली अंधेरी रात हुई।।

क्या तुम भी मेरे बारे में कुछ ऐसा ही सोचती हो।
 बेहिचक बतला दो क्यों मुझको यूं तडपाती हो।।

जी तो रहे हैं मगर जिंदगी जिंदा लाश हुई।
तेरे बगैर अब मेरे लिए बोझ हर सांस हुई।।

©Nilam Agarwalla #इत्तेफाक
यह इत्तेफाक ही था कि तुमसे मुलाकात हुई।
छोटी सी उस मुलाकात में बेहिसाब बात हुई।।

आजकल सोचता ज्यादा हूं लिखता कम हूं।
तुमसे फिर मिलने के लिए मैं बहुत बैचेन हूं।।

याद कर तुम्हे आज इन आंखों से बरसात हुई।
मेरे लिए सुहानी भोर भी,काली अंधेरी रात हुई।।

क्या तुम भी मेरे बारे में कुछ ऐसा ही सोचती हो।
 बेहिचक बतला दो क्यों मुझको यूं तडपाती हो।।

जी तो रहे हैं मगर जिंदगी जिंदा लाश हुई।
तेरे बगैर अब मेरे लिए बोझ हर सांस हुई।।

©Nilam Agarwalla #इत्तेफाक