किसी ने कितनी सुंदर पंक्तिया कही है एक डोली चली एक अर्थी चली....... बात दोनों में कुछ इस तरह से चली, बोली डोली तुम्हे किसने धोका दिया, कहाँ तू चली...?? अर्थी बोली.. चार तुझमे लगे, चार मुझमे लगे (कंधे) फुल तुझपे सजे, फुल मुझपे सजे, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी, तू पिया को चली मै प्रभु को चली.. मांग तेरी भरी, मांग मेरी भरी, चूड़ी तेरी हरी, चूड़ी मेरी हरी, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी.. तू जहाँ में चली, मै जहाँ से चली. एक स तेरा खुश हो जायेगा, एक सजन मेरा मुझको रो जायेगा, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी,, तू विदा हो चली मै अलविदा हो चली...... ©Anjali एक ही जीवन के दो रास्ते हैं #Life_Experiences Gattu Baba Rupinder kaur Gill