गम ए उल्फत में ऐसा दगा दिया बेकसूरओ को भी सजा सुना दिया,,, किसने मेरे ख्याल में दीपक जला दिया ठहरे हुए तालाब का पानी हिला दिया,,, तन्हाइयों के बजरे किनारे पर लग गए ऐसा यकीन हम को किसी ने दिला दिया,, यह क्या मजाक है बहारों के नाम से पूरा चमन मिटाकर नया गुल खिला दिया,,, मुद्दत गुजर गई थी हमें यूं ही चुप हुए कल से बहक उठे हैं हमें क्या पिला दिया,,, #मनदर्पण