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न आराम है तेरे बग़ैर, न ही सुकून पाये..! दिल तड़प

 न आराम है तेरे बग़ैर,
न ही सुकून पाये..!

दिल तड़प रहा है पाने को,
और दिल तुझे ही चाहे..!

न चाँद की ख़्वाहिश है मुझे,
न ही सितारों की चमक..!

रौशन तुझसे है जहाँ मेरा,
तू दिल की धड़कन जो बन जाये..!

मुर्झाया चेहरा मेरा,
तुझे देख कर खिल जाये..!

बेचैन रहे मन को मेरे,
सुकून का पल मिल जाये..!

©SHIVA KANT
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