उसने पूछा ...मैं कैसी हूँ... हैरान हूं...सच बता क्यों न पाई.. अपनी तकलीफों को आइना दिखा क्यों न पाई बताया नहीं...की मयस्सर सुकून नहीं है ... भले गर्दन पर चाकू..या पैरों में ज़ंजीर नहीं है शायद... सवालों में शिद्दत कम थी...? या जवाबों में गम ही गम थे...? अकेलेपन की सांसें घड़ियाँ देख कहाँ जाती हैं.. सच कहते है लोग ...खुशियाँ भीड़ में आती हैं! पर गम....!!!!! #driftingapart #eklavya