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नेत्र पूर्वांचल की धरा पर खुले,नेक नियति के पथ पर

नेत्र पूर्वांचल की धरा पर खुले,नेक नियति के पथ पर चले,
गुरु गोबिंद नाम कहाया,सिखों के अंतिम गुरु थे वो भले,

सैन्य क्षमता व दूर दृष्टि सु-व्यवस्थित सम्मिश्रण इनमें मिले,
शारीरिक सौष्ठव,ज्ञान सदाचार का सद्व्यवहार का मिले,

अनन्त शक्ति तभी न्यायोचित है, जब सधर्म को परिचित करे,
कर साम-दाम-दण्ड-भेद का प्रयोग,अंत मे युद्ध भूमि पर उतरे,

गुरुवाणी में यह तेज है, अद्भुत संचार शक्ति का निर्माण किया,
खालसा वो फिर बनकर निकला, देश ने फिर सम्मान है दिया। धन श्री गुरु गोबिंद सिंह (पंजाबी)
On the occasion of the Gurpurrb(Agaman purb) of Guru Gobind Singh Ji....
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नेत्र पूर्वांचल की धरा पर खुले,नेक नियति के पथ पर चले,
गुरु गोबिंद नाम कहाया,सिखों के अंतिम गुरु थे वो भले,

सैन्य क्षमता व दूर दृष्टि सु-व्यवस्थित सम्मिश्रण इनमें मिले,
शारीरिक सौष्ठव,ज्ञान सदाचार का सद्व्यवहार का मिले,

अनन्त शक्ति तभी न्यायोचित है, जब सधर्म को परिचित करे,
कर साम-दाम-दण्ड-भेद का प्रयोग,अंत मे युद्ध भूमि पर उतरे,

गुरुवाणी में यह तेज है, अद्भुत संचार शक्ति का निर्माण किया,
खालसा वो फिर बनकर निकला, देश ने फिर सम्मान है दिया। धन श्री गुरु गोबिंद सिंह (पंजाबी)
On the occasion of the Gurpurrb(Agaman purb) of Guru Gobind Singh Ji....
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