मुझसे क्यों ये राज़ रहे मेरे कल में क्यों आज रहे आसमान खुला हैं,फिर भी तुझतक ही क्यों परवाज़ रहे लिखना तो ठीक हैं दिल,पर पेट के लिए काम काज़ रहे हो जाऊंगा तुझपे फ़ना,एकदिन सनम पे मरने का रिवाज रहे ऐसे हारूँ तुझको मैं यहाँ की नाकामी का मुझपे ताज़ रहे जिक्र तेरा ना हुआ,ना होगा हमेशा तू 'राज' की राज़ रहे #राज़#परवाज *परवाज-उड़ान