जी कर डूबया रहू तेर म तू मझधार सा है। हर टैम ढोळ दयूँ तेर त चाशनी बरगा प्यार सा है। रै तेर भोळे न राम राम,जो मन दिया तेर बरगा उपहार सा है "गौरव" #openpoetry For eveyone's love