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खुशियों के आईने में,दुख की छाया मैने देखी। तड़प उठी

खुशियों के आईने में,दुख की छाया मैने देखी।
तड़प उठीं मन की आशायें, हँसती माया मैने देखी।।
क्या क्या जतन किये थे मैने, खुशियों का महल बनाने में।
आग की तपती ज्वाला में,जलती काया मैने देखी ।।
तुम प्राणप्रिय बनकर आये, हर साँस तुम्ही पर वारि था।
कैसे कहूँ, मैं भी इंसा हूँ, वह बिछुड़ती छाया मैने देखी।।

©Shubham Bhardwaj
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