मैं ख़ुशनसीब हूं जो समझ गया तुझे तुने न जाने कितनों को तडपाया है कितनों को रुलाया है उनका दर्द कितना होगा मुझे तो सिर्फ दो दिन कि मुलाक़ात ने रुलाया है । ऋषभ गुप्ता