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समयकालचक्र ऐसा घुमा, जिंदगी लहूलुहान उठ रहा अब धुँ

समयकालचक्र ऐसा घुमा, जिंदगी लहूलुहान उठ रहा अब धुँआ ही धुँआ,
मूक प्रकृति का ह्रास कर शोषण किया,चहुँओर वीरान ही विरान हुआ,

समय वक़्त का होता हैं बड़ा सख्त,न बर्बाद करो नष्ट हो जायेंगे सभी  तख्त,
समय का सम्मान ही मानव धर्म की पूजा हैं, मूर्ख हैं जो कार्य करता बेवक़्त,

समय परिवर्तनशील हैं, समान प्रकृति के,समय के साथ चलना ही सही हैं,
जो स्वंय को समयानुसार बदलाव व नवनिर्माण करेगा उसी का वजूद  यही है।

 🍬 #collabwithपंचपोथी
🍬 विषय - #समय
🍬 प्रतियोगिता- 4 (मुख्य)
🍬 समय - 24 घंटे तक
🍬  collab करने के बाद comment में done लिखे

🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
समयकालचक्र ऐसा घुमा, जिंदगी लहूलुहान उठ रहा अब धुँआ ही धुँआ,
मूक प्रकृति का ह्रास कर शोषण किया,चहुँओर वीरान ही विरान हुआ,

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जो स्वंय को समयानुसार बदलाव व नवनिर्माण करेगा उसी का वजूद  यही है।

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