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नदियों सा चलते रहना, परवत सा ऊँचा बन जाना। सागर

नदियों सा चलते रहना,  
परवत सा ऊँचा बन जाना। 
सागर सी मन की गहराई 
धरती सा दानी बन जाना।
सूरज सा यश फैलाना,
चंदा सा शीतल बन जाना। 
फूलों सा नित हँसते रहना, 
ऋतुओं संग बदलना भेष। 
लेते जाना ये संदेश, 
राही लेते जाना रे संदेश।

©Harsh Pal संदेश
नदियों सा चलते रहना,  
परवत सा ऊँचा बन जाना। 
सागर सी मन की गहराई 
धरती सा दानी बन जाना।
सूरज सा यश फैलाना,
चंदा सा शीतल बन जाना। 
फूलों सा नित हँसते रहना, 
ऋतुओं संग बदलना भेष। 
लेते जाना ये संदेश, 
राही लेते जाना रे संदेश।

©Harsh Pal संदेश
harshpal6321

Harsh Pal

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