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बचपन में जब हम आजाद थे तब हम परिंदो को पिंजरे में

बचपन में जब हम आजाद थे तब हम परिंदो को पिंजरे में कैद करना चाहते थे, 

आज बड़े हुए तो समझ आया की गुलामी कितनी बदतर होती है चाहे वो किसी भी चीज की क्यूं ना हो।

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  #कैद  बहोत बुरी होती है गुलामी

#कैद बहोत बुरी होती है गुलामी #Life

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