मां- बाप की थी मैं शान, मेरी नौकरी ही थी मेरी ईमान, हर दिन बस दुआ करती की चाहे जो भी हो सुरक्षित रहे मेरी नौकरी, इन सबके बीच मैं भूल गई की मैं हूं एक नारी! ये एहसास हुआ मुझे उस वकत जब मौत खड़ी थी मेरी चौखट। आई वो अंधेरी रात एक दिन, जिसके बाद इस दूनिया को रहना था मेरे बिन। जाने को घर तैयार मेरे साथ था मेरा पक्का यार। दिखे बस मे इंसान चार क्या पता था ये हैवान बना देंगे इसे मेरा आखरी बुधवार। लुटते हुए मेरा सम्मान तोड़ते हुए मेरे सपने, क्यूं नहीं याद आए उन्हें मां बहन अपने! मेरी ज़िंदगी छीन कैसे सोए होंगे ये चैन की नींद! मेरी आखें जब बंद होने आई, समाज ने अपने आखों से पट्टी हटाई। जब लोगों ने सुना मेरा दर्द और वो काली रात मुझे भेजा गया Elizabeth अस्पताल। देकर अपने सांसों की कुर्बानी, जगाई मैंने हज़ारों झांसी की रानी। मैं हू वही ज्योती जिसे आपने ने बुलाया दामिनी बनकर मैंने निर्भया, कितनी मासूमों का जीवन बचाया। ⭐⭐⭐⭐⭐ ©Sakchhi(Shivaya) #कलमसाक्षी #निर्भया #रैप और #मर्डर की वो घटना जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था। यह कविता ले चलेगी आपको उन रास्तों पर जहां कभी निर्भया चली थी। उस बस मे जिसमे हैवानों का बसेरा था। गुनहगारों को फांसी तो लग गई लेकिन वो मानसिकता रिहा हो गई 😔 ⭐⭐⭐⭐⭐ #Dark #kavita #दिल्ली #nirbhaya