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कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद)

कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica
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कातर स्वर में प्रेम प्रसंग, रजनी कलि ने आँखें खोली -
सुधा - पराग मिल प्रान बने अौर शहद भरी मीठी बोली ||

यूँ रक्त कनों में घुल मिल कर,जब प्रेम प्रार्थना गान करे -
स्पर्श यथा कातर मन से, अंबर तले रसपान करे ||
कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica
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कातर स्वर में प्रेम प्रसंग, रजनी कलि ने आँखें खोली -
सुधा - पराग मिल प्रान बने अौर शहद भरी मीठी बोली ||

यूँ रक्त कनों में घुल मिल कर,जब प्रेम प्रार्थना गान करे -
स्पर्श यथा कातर मन से, अंबर तले रसपान करे ||