कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica .......................................................... कातर स्वर में प्रेम प्रसंग, रजनी कलि ने आँखें खोली - सुधा - पराग मिल प्रान बने अौर शहद भरी मीठी बोली || यूँ रक्त कनों में घुल मिल कर,जब प्रेम प्रार्थना गान करे - स्पर्श यथा कातर मन से, अंबर तले रसपान करे ||