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पता नहीं मुझे ,मैं सही गलत कब क्या लिखता हूं। बस

पता नहीं मुझे ,मैं सही 
गलत कब क्या लिखता हूं।
बस आपकी हौसला 
आफजाई से ,खिल उठता हूं।
 
कभी-कभी ,सत्य 
लिखने का,बड़ा मन करता है।
किसी का दिल ना 
टूट जाए कहीं, इसलिए डरता हूं।

पता नहीं ये इश्क़ ,मोहब्बत,
 नशा जुनून है या पागलपन है।
विरह  है वेदना है दर्द है या 
दर्द का सिलसिला, आखिर है क्या।

कोई कहता है ज़िन्दगी, तो कोई
 मीठा ज़हर , कोई-कोई अमृत की बूंद।
कोई कहता है गुनाहों का समंदर,
कोई कहता है गुलाबी शबनम, भोर की प्रहर।

©Anuj Ray
  # पता नहीं मुझे,..
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator

# पता नहीं मुझे,.. #जानकारी

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