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वो तीखे तीखे दो नैना कयामत सी थी हर अदा उसकी इश्क

वो तीखे तीखे दो नैना
कयामत सी थी हर अदा उसकी
इश्क कैसे ना होता दोस्तों
खुदा की वो एक नुमाइश थी
जब रूबरू हुआ उससे तो लगा
मुद्दत से मांगी हुई वो मेरी कोई ख्वाहिश थी मैं तो मेरी ख्वाहिश थी जो शोक बनकर मेरी जिंदगी में आई थी
वो तीखे तीखे दो नैना
कयामत सी थी हर अदा उसकी
इश्क कैसे ना होता दोस्तों
खुदा की वो एक नुमाइश थी
जब रूबरू हुआ उससे तो लगा
मुद्दत से मांगी हुई वो मेरी कोई ख्वाहिश थी मैं तो मेरी ख्वाहिश थी जो शोक बनकर मेरी जिंदगी में आई थी