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चांद की चांदनी रूप सुहाना चाल मस्तानी, चेहरे पर

चांद की चांदनी 

रूप सुहाना चाल मस्तानी,
चेहरे पर नूर ऐसा मानो चांद की चांदनी हो,
बोली उसकी मीठी कोयल सी,
मोह लेती सबका मन वो प्यारी अलबेली सी,
पायल जब छनकाए मानो सब जगह बजता संगीत हो,
चूडी जो खनकाए मानो सब जगह बजता गीत हो,
उफ़...क्या वर्णन करूं उसके रूप का,
वो तो स्वर्ग से उतरी कोई अवसरा है,
जिस पर फिदा हुआ मेरा दिल है।

©Pinki Khandelwal रुप सुहाना चाल अलबेली..
वो मेरी दिल की रानी,
उफ़ मेरी चांदनी।

रुप सुहाना चाल अलबेली.. वो मेरी दिल की रानी, उफ़ मेरी चांदनी।

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