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तुम्हारी याद आती है, करूं क्या मेरे परदेसी। करूं द

तुम्हारी याद आती है, करूं क्या मेरे परदेसी।
करूं दीदार कैसे मैं, बता दो मेरे परदेसी।

न जीता हूं न मरता हूं, न हंसता हूं न रोता हूं।
गया कुछ चैन ऐसा कि  न जगता हूं न सोता हूं।

न समझाने से समझे दिल, करूं क्या मेरे परदेसी।
तुम्हारी याद आती है....।

©नागेंद्र किशोर सिंह
  तुम्हारी याद आती है।