।। उदास दिल।। ******************************************* आखिर कौन है ऐसा जिसके पदचिन्हों पर #चला जाय, किनके व्यक्तित्व से मुखरित हो खुद को #ढला जाय। यहाँ तो हाथी के दांत खाने के और हैं ,दिखाने के और, सारे बहरूपिये हैं ,इन छलियों को कैसे #छला जाय। कदम- कदम पर पीड़ा है,हैवानियत है,काम क्रीड़ा है, दरिंदगी को या इन दरिंदों को ही ,किसे #दला जाए। यहाँ तो सारे अपने ही आस्तीन के जहरीले साँप हैं, इनसे दूर चलें या फिर इनके जहर से #पला जाए। इस स्वार्थी दुनियाँ में बहुत उदास है ये ज़िन्दगी 'बल' समझ नहीं आता इन्हें जलायें या खुद ही #जला जाय। ******************************************** बल्लू-बल। थान-खम्हरिया।। ******************************************** ©Balram Singh Thakur उदास दिल,,, #Shades