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"तरंगें" उसने पूछा, "कैसे तुम अफसाने गढ़ लेते हो

"तरंगें"

उसने पूछा,
"कैसे तुम 
अफसाने गढ़ लेते हो ?
जो मैं कहती भी नहीं 
पढ़ लेते हो ।"

मैं मुस्कुराया,
"कुछ एहसास 
शब्दों की दीवारें भी
लांघ आते हैं ।
कुछ तरंगें तो 
उठती ही होंगीं 
जो महसूस 
कर पाते हैं ।"
"तरंगें"

उसने पूछा,
"कैसे तुम 
अफसाने गढ़ लेते हो ?
जो मैं कहती भी नहीं 
पढ़ लेते हो ।"

मैं मुस्कुराया,
"कुछ एहसास 
शब्दों की दीवारें भी
लांघ आते हैं ।
कुछ तरंगें तो 
उठती ही होंगीं 
जो महसूस 
कर पाते हैं ।"