ताहिर ए आज़ाद फित्ना ए शर कर बैठे, खल्वत के शौक में हम दावत कर बैठे, ज़ेर ए दाम हुए मस्मूम के गैसूओं से उलझ बैठे, रंग ए तग़ाफ़ुल हुआ रकीब को मखदूम समझ बैठे, लौह ए दिल नजरों के धोखे से अपना जियाँ कर बैठे, वाँ सामान ए फरागत अपनी खुशियों का गला दबा बैठे। ताहिर ए आज़ाद: free bird फित्ना ए शर : mischief खल्वत: एकांत ज़ेर ए दाम: trap मस्मूम: innocent रंग ए तग़ाफ़ुल: style of negligence रकीब: enemy मखदूम: स्वामी