राजनीति की रोटी, घी से तले, हर नेता कहे, "हम देश संभाले!" वादे हज़ारों, सचाई है खोई, वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए। मध्यम वर्ग का सपना अधूरा, कभी EMI, कभी बिजली का फंदा। बजट में जीता, महंगाई से हारा, छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा। हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते, नेता जी आते, बस वादे थमाते। मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?" पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा। नेता के बेटे विदेश में पढ़े, मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े। घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे, पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे। देश बदलने का नारा है प्यारा, पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा। राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम, चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम। ©Avinash Jha #protest #Politics