बैठ के शांत मन से निहारता, वो बच्चा मां के साए को संवारता, ममता की कुछ बूंद लिए सहमा सा, कुछ दूर खिड़की से ताकता, बस आंखों में उम्मीद लिए , वो बेजार दुनिया को है देखता। पत्थर के देव है माटी की मूरत, भस्म होती मायूस की सूरत, वो सिसकता हुआ नाम मां का पुकारता, वो मासूम चेहरा आंसुओं में फुफकारता, बस आंखों में उम्मीद लिए, वो हर स्त्री में मां को है देखता। दर पर देवी के नंगे पांव बैठा है, दिल तो दिल चेहरे पर घाव लिए बैठा है, थरथराते होठों से वो प्यार छानता है, बेखयाली में खुद के लिए मां मांगता है, बस आंखों में उम्मीद लिए, वो बस अपनी मां को ही देखता है।— % & नमस्कार लेखकों।😊 Collab करें हमारे इस #rzhindi पोस्ट पर और अपने शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! 🤩 सबसे बेहतरीन collabs को हमारे पेज पर साझा किया जाएगा इसलिए इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 समय सीमा : 17 जुलाई, दोपहर 12 बजे तक।