जिन्दगी दिल के टूटने पर भी हँसना, शायद जिंदादिली इसी को कहते हैं, ठोकर लगने पर भी मंजिल तक भटकना, शायद तलाश इसी को कहते हैं, किसी को चाहकर भी न पाना, शायद चाहत इसी को कहते हैं, टूटे खंडहर में बिना तेल के दिया जलाना, शायद उम्मीद इसी को कहते हैं गिर जाने पर भी फिर से खड़ा होना, शायद हिम्मत इसी को कहते हैं, और ये उम्मीद, हिम्मत, चाहत, तलाश शायद जिन्दगी इसी को कहते हैं! जिन्दगी #जिन्दगी #Dosti #कविता