मैं आज़ाद था, जन्मदिन मुबारक, चंद्रशेखर आज़ाद 23 जुलाई 1906 का वह शुभ महूर्त बना था , जब भाबरा में माँ जगरानी ने शेर जना था ! आंखों में वो आंखे डाले सच्ची बाते करता था , उसके इस व्यक्तित्व पर ही जमाना नाज़ करता था ! था बापू से प्रभावित पहले ,पर पथ उसका अलग था , गर्म खून शेर के जैसा, वो अहिंसा से बिलग था ! बचपन की वो 15 बेतें ज्वाला बनके फूटी थी , अंग्रेजी हुकूमत की रीढ़ की हड्डी टूटीं थी ! अपने खून पसीने से H.R.A. को उसने सँवारा था , किसी दुश्मन के पैरों के नीचे झुकना नही ग़वारा था! अल्फ़्रेड पार्क घेराबन्दी में नॉट बाबर पूँछा कौन हो तुम , पिस्टल निकाल फ़ायर किया बोला तुम्हारे बाप है हम ! 27 फरवरी 1931 काला दिन था ,भाग्य को किसने मेटा था , आखरी दम तक लड़ा आज़ाद ,वह माँ भारती का सच्चा बेटा था ! आख़री गोली बची तो पिस्तौल कनपटी पर रखकर गोली दाग लिया , धन्य हुआ था जग सारा आजादी के ख़ातिर खुद को आज़ाद किया ! "" मैं आज़ाद था ,आज़ाद हूँ ,और आज़ाद रहूँगा , हर हिंदुस्तान जवाँ के दिलो में वे सदा ही जिंदा रहेंगे !!"" ((( ""राहुल ""))) #ChandraShekharAzad #जीवनी #वीर_रस #गीतिका #nojotohindi #hindi 23 जुलाई 1906 का वह शुभ महूर्त बना था , जब भाबरा में माँ जगरानी ने शेर जना था ! आंखों में वो आंखे डाले सच्ची बाते करता था , उसके इस व्यक्तित्व पर ही जमाना नाज़ करता था ! था बापू से प्रभावित पहले ,पर पथ उसका अलग था ,