तुझे पिछे छोड़ कैसे आगे बढ़ जाएं। तुझसे किए हर वादे को कैसे भूल जाएं।। तुझसे मिलने का हक़ अब सपना हो गया। वक्त इतना बेरहम निकला कि ये सपना भी अधुरा रह गया।। बढ़ते वक्त के साथ तेरा ख्वाब तुझ से भी ज्यादा हसीन हो गया। हर खामोशी में भी तुझे ढुंढना अब आदत हो गया।। ओह वो भी क्या वक्त था। धड़कन का साथ धड़कना भी जबरदस्त था।। तुम्हारी आवाज़ आज भी कानों में गूंजती है। तुम्हारे बिना ये दुनिया विरान सी लगती हैं।। एक दिन न जाने किसकी नज़र लग गई। मुहब्बत की बस्ती ज़ोर ज़ोर से जलने लगी।। आज भी वो आग इस सीने में जलती है। ये बेबस आंख, उनके लौटने का ख्वाब देखा करती हैं।। #इन्तजार #अधुरासाथ