क्या लिखूँ मैं बयां करना भी नहीं जानता हर शब्द पता नहीं क्यों मुझसे मुँह मोड़ लेते है। होता है जब ज़िक्र इश्क़ का न जाने लम्हे क्यों मेरे मुझसे यह पूछ लेते है।। कहा है वो पहले की भाँती हर चीज़ का वो हिसाब ले लेता है। मैं भी मुस्कान लिए हुए कह देता हूँ क्या लिखूँ मिटाया तो उनको जाता है जो दिल से उतरे हो वो तो मेरे हर एक पन्ने पर लिखित है। To bhi continue....... @aakash. #jawa #PoetInYou