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आदमी को आदमी के गुर सिखा दो और हमको शायरी के गुर स

आदमी को आदमी के गुर सिखा दो
और हमको शायरी के गुर सिखा दो

ठंड इतनी बढ़ गयी है कम ज़रा हो
जनवरी को फरवरी के गुर सिखा दो

बे-वफ़ा हो कर चली जाए कमीनी
मौत को भी दिल्लगी के गुर सिखा दो

ख़ुश बहुत है बैठ कर दिल में उदासी
इस उदासी को हँसी के गुर सिखा दो

हाथ दोनो जोड़ कर दीपक बनाओ
तीरगी को रौशनी के गुर सिखा दो

मैकदे जाकर बिताए चंद पल वो
हर किसी को तिश्नगी के गुर सिखा दो

है बड़ी सुंदर मिरी वाली कि बस उस
नासमझ को नाज़नीं के गुर सिखा दो
 #nojoto #Ashu #kavishala #ghazal
आदमी को आदमी के गुर सिखा दो
और हमको शायरी के गुर सिखा दो

ठंड इतनी बढ़ गयी है कम ज़रा हो
जनवरी को फरवरी के गुर सिखा दो

बे-वफ़ा हो कर चली जाए कमीनी
मौत को भी दिल्लगी के गुर सिखा दो

ख़ुश बहुत है बैठ कर दिल में उदासी
इस उदासी को हँसी के गुर सिखा दो

हाथ दोनो जोड़ कर दीपक बनाओ
तीरगी को रौशनी के गुर सिखा दो

मैकदे जाकर बिताए चंद पल वो
हर किसी को तिश्नगी के गुर सिखा दो

है बड़ी सुंदर मिरी वाली कि बस उस
नासमझ को नाज़नीं के गुर सिखा दो
 #nojoto #Ashu #kavishala #ghazal