आदमी को आदमी के गुर सिखा दो और हमको शायरी के गुर सिखा दो ठंड इतनी बढ़ गयी है कम ज़रा हो जनवरी को फरवरी के गुर सिखा दो बे-वफ़ा हो कर चली जाए कमीनी मौत को भी दिल्लगी के गुर सिखा दो ख़ुश बहुत है बैठ कर दिल में उदासी इस उदासी को हँसी के गुर सिखा दो हाथ दोनो जोड़ कर दीपक बनाओ तीरगी को रौशनी के गुर सिखा दो मैकदे जाकर बिताए चंद पल वो हर किसी को तिश्नगी के गुर सिखा दो है बड़ी सुंदर मिरी वाली कि बस उस नासमझ को नाज़नीं के गुर सिखा दो #nojoto #Ashu #kavishala #ghazal