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नींद से मेरी अदावत हो गई है जबसे उनसे मोहब्बत हो ग

नींद से मेरी अदावत हो गई है जबसे उनसे मोहब्बत हो गई है 
वो हाल पूछने को करता नहीं उसके फोन के इंतजार में कितनी रात हो गई है 
ए चांद तू अपनी चांदनी को काबू में रख मेरे ज़िहन में चुभती है ये 
वो रूठ गया है मुझसे लगता है उसकी और मेरे गमों की आपस में बात हो गई है 
तभी से ये सिलसिले चल रहे हैं साथ मेरे एक आता नहीं एक जाता नहीं 
मेरी तन्हाई का कोई सबब पूछता नहीं कोई देखता नहीं कि ये कैसी मेरी हालात हो गई है वो फोन नहीं करते
नींद से मेरी अदावत हो गई है जबसे उनसे मोहब्बत हो गई है 
वो हाल पूछने को करता नहीं उसके फोन के इंतजार में कितनी रात हो गई है 
ए चांद तू अपनी चांदनी को काबू में रख मेरे ज़िहन में चुभती है ये 
वो रूठ गया है मुझसे लगता है उसकी और मेरे गमों की आपस में बात हो गई है 
तभी से ये सिलसिले चल रहे हैं साथ मेरे एक आता नहीं एक जाता नहीं 
मेरी तन्हाई का कोई सबब पूछता नहीं कोई देखता नहीं कि ये कैसी मेरी हालात हो गई है वो फोन नहीं करते