टुट जाती हैँ नीँदे बिखर जाते हैँ सपने जब ख्याल आता हैँ अंगुठी की नीसानि वालोँ का ! नीँद और सपने वो सुकुन के थे जब तकिया था उनकी बाहोँ का और बिछोना था उनके बालों का । लेखक=हसन खान अंगूठी की निसानी वाले