मैं न कोई मसीहा, न कोई रहनुमा हूँ, मैं अपनी आग हूँ, मैं अपना ही धुंआ हूँ। मुझे परखने वाले शायद ये नहीं जानते, मैं अपना गुनाह हूँ, मैं अपनी ही सज़ा हूँ। ©वीरांश #वीरांश