हर सही इन्सान को मुखौटा लगाने की ज़रूरत क्या है? और अगर गल्तियाँ न हो तो सही की अहमियत क्या है? क्यों अपने ही एहसास को ज़िन्दा नहीं रखना चाहते हैं, ख़्वाहिशों की बस दुनिया ही हम बनाए रखना चाहते हैं, कौन कैसा है,कहाँ से आया है,बस वैसा बनना चाहते हैं, बस उसकी परिस्थितियां ही तो नहीं समझना चाहते हैं। बनावटी चेहरा लगा कर जीने की कोशिश करना चाहते हैं, फिर चाहे वो ज़िन्दा लाश ही क्यों न हो, उसे जीना चाहते हैं, अपनी असलियत को छुपा कर हम कब तक दूर जायेंगे, ऐसी विचारधारा को भी आँखों से ओझल करना चाहते हैं। नक़ाब ओढ़ कर मत समझना,पा लिया जो पाना चाहते हैं, ख़्वाहिशें कहाँ पीछा छोड़ती हैं, जो हम पाना ही चाहते हैं, कोई भी खुश नहीं हो सकता यों ही बस बनावट ओढ़ के, जब तक वो सन्तुष्टि छोड़ कर ख़्वाहिशें अपनाना चाहते हैं। हर इन्सान अपने आप में अलग है,जानना नहीं चाहते हैं, मुखौटा ओढ़ के ही हम खुद को बस सही करना चाहते हैं, भगवान नहीं हैं हम, जो हर बार बस सही ही साबित हों, गल्तियों का पुतला है इन्सान, समझना ही नहीं चाहते हैं। #नक़ाब #मुखौटा #असलियत #अहमियत #विचारधारा #आँखोंसेओझल #yqhindi #bestyqhindiquotes