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टूटी खिड़की ने बचपन याद दिलाया। खिड़की के पीछे था ह

टूटी खिड़की ने बचपन याद दिलाया। 
खिड़की के पीछे था हमने, सपनो को सजाया। 
देखे थे ख्वाब दुनिया को जीतने के,
जिंदगी की दौड़ में, कुछ को खोया, कुछ को पाया। 
देख उस खिड़की को आज इस तरह,
आज फिर बच्चा बनने को दिल कर आया। 
टूट गयी वो खिड़की हमारे सपनो की तरह,
जिसके पीछे भागते हुए जीवन गवाया। 

#शर्मा जी

©Dr. sharma #sharmajikilekhni