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आपका प्यार बरसो बाद खोली ,जब मैने एक किताब पाया

आपका प्यार

बरसो बाद खोली ,जब मैने एक किताब
पाया   मैंने  आपका, दिया हुआ गुलाब
मन-मुग्ध  होकर देखने  लगी मैं  ख्वाब
क्योकि
सूखे हुए गुलाब में,आज भी बरकरार है
आपका प्यार
कर  बैठी खुद  से खुद  अनेको bसवाल
कितने  मिलते - जुलते थे  हमारे ख्याल
कुछ कमियां होती तो आप लेते थे संभाल
क्योंकि
सूखे हुए गुलाब में,आज भी बरकरार है
आपका प्यार
प्यार भी तो करते थे ,हम आपसे बेसुमार
जुड़े  हुए  भी  थे  दिल  से  दिल  के  तार
काश  कर देती मैं आपसे प्यार का इज़्हार
क्योंकि
सूखे हुए गुलाब में, आज भी बरकार 
आपका प्यार
आँखे  नम  हुयी   बन्द  कर   दी   मैने  किताब
रख दिया किताब में आपका दिया हुआ गुलाब
ताउम्र  करती  रहूगी  मैं निः स्वार्थ  प्यार जनाब
क्योंकि
सूखे हुए गुलाब में आज भी बरकरार है
आपका प्यार।

©SAKSHI JAIN
  #sandeep जी
sakshijain3449

SAKSHI JAIN

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#sandeep जी #लव

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