जो गैर हैं वो किसी और, की उल्फ़त क्या जाने। जो खुद किनारे बैठ कर समंदर निहारते हैं, वो खुद समंदर में तैरना या डूबना क्या जाने। जिन्हें लोगों की परख नहीं, वो नज़र पारखी क्या जाने। बड़े दिनों बाद नूर आया है, अरे धूल हटाओ चश्मे से और देख लेने दो, जो मशरूफ हैं चकाचौंध में, वो इस उल्फ़त को क्या जाने। #उल्फ़त