तेरी ही बातें रातें तमाम करता हूँ.. हर लम्हा नब्ज़े-एहतराम करता हूँ.. झुकी नज़र तो उल्फ़त बयां करता हूँ.. उठे नज़र तो झुक के सलाम करता हूँ.. दबे-पांव चली आती है दस्तक दिल तक.. उठा कलम हर एक आहट कलाम करता हूँ.. बदल-बदल के अदा चलती औ संभलती है.. नब्ज़ को थामकर कुछ इंतज़ाम करता हूँ.. लबों से छू न जाए लबों की बात कहीं.. रात भर रात के शिकवे तमाम करता हूँ. #shayri #rekhta