हर जवाब में छुपा मुझे सवाल दिखाई देता है, खुद के अंदर होता इक बवाल दिखाई देता है, लहु से लथपथ "रघु" कमाल दिखाई देता है, सच कहूँ तो ये ख्याल महज ख्याल दिखाई देता है ।।५-५।। मुस्कुराहटों में छुपा गम दिखाई देता है, बंदिशों में हूँ मुझे कम दिखाई देता है, जो भी देता है मुस्कुरा कर घाव ही देता है, जब भी मिलता हूँ ये चाँद मुझे नम दिखाई देता है।।१-५।। जब सुनना चाहूँ तो गहरी खामोशी सुना देता है, जो देखना चाहूँ तो मुझे अंधकार दिखाई देता है, तलवार उठाता हूँ तो दुश्मन का सर दिखाई देता है,