इन्हें तो सिर्फ रौनक ही बनना था ना, कभी ऋतुओं की ,तो कभी रास्तों की ।। फूलों के रंगों में डूबी हुई निगाहें , छूकर इन्हें भी निकलती है आहिस्ता से । बस इनकी तकदीर में बिकना नही होता , किसी महफ़िल की इन्हें जरूरत नहीं , कोई गजरा इनका मोहताज नही होता ।। #कलियाँ