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इन्हें तो सिर्फ रौनक ही बनना था ना, कभी ऋतुओं की ,

इन्हें तो सिर्फ रौनक ही बनना था ना,
कभी ऋतुओं की ,तो कभी रास्तों की ।।
फूलों के रंगों में डूबी हुई निगाहें ,
छूकर इन्हें भी निकलती है आहिस्ता से ।
बस इनकी तकदीर में बिकना नही होता ,
किसी महफ़िल की इन्हें जरूरत नहीं ,
कोई गजरा इनका मोहताज नही होता ।। #कलियाँ
इन्हें तो सिर्फ रौनक ही बनना था ना,
कभी ऋतुओं की ,तो कभी रास्तों की ।।
फूलों के रंगों में डूबी हुई निगाहें ,
छूकर इन्हें भी निकलती है आहिस्ता से ।
बस इनकी तकदीर में बिकना नही होता ,
किसी महफ़िल की इन्हें जरूरत नहीं ,
कोई गजरा इनका मोहताज नही होता ।। #कलियाँ
aartisharma5900

Aarti Sharma

New Creator