गृहिणी हूं मैं, फिर भी कोई पूछ ही लेता, तुम करती क्या हो दिनभर! (Poetry in Caption)👇 सुबह मुंह अंधेरे उठ, सबको भेजने की आपाधापी, शीशे में एकपल भी, खुद को निहार ना पाती, चक्करघिन्नी सी घूमती इधर-उधर, फिर भी कोई पूछ ही लेता, तुम करती क्या हो दिनभर! सुबह नाश्ता,दिन का खाना,