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सोंचता है इंसान तक़दीर तो है अपने हाँथ में पर ये नह

सोंचता है इंसान तक़दीर तो है अपने हाँथ में
पर ये नही समझता क़ि कभी तस्वीर भी बंद होती है इक छोटे से कांच में.......
तकदीर का लेखा-जोखा तो ऊपर बैठे वो किया करता है........
हमारी ज़िंन्दगी तो सीमित है बस कठपुतली के नाच मे........।

©virutha sahaj #तकदीरकागुरूर
सोंचता है इंसान तक़दीर तो है अपने हाँथ में
पर ये नही समझता क़ि कभी तस्वीर भी बंद होती है इक छोटे से कांच में.......
तकदीर का लेखा-जोखा तो ऊपर बैठे वो किया करता है........
हमारी ज़िंन्दगी तो सीमित है बस कठपुतली के नाच मे........।

©virutha sahaj #तकदीरकागुरूर