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जाति है की जाती नहीं, तुम दुल्हन बन कर आती नहीं..

 जाति है की जाती नहीं,
तुम दुल्हन बन कर आती नहीं..!
ख़्वाबों में ही देख लूँ तुम्हे,
पर कमबख़्त नींद भी आती नहीं..!
सरल तरीके से भी बजे न,
अपनी शादी की शहनाई..!
न जाने कब समझेंगे,
ये सारे जातिवाद के जमाई..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Alive #jaati