आज यह नकाब भी तेरी खूबसूरती के साथ तेरे किये को छुपा रहा, किया जो तूने पल पल प्रकृति का दोहन आज तुम्हें याद दिला रहा, न करते अत्यधिक की कामना, रहते वक़्त ही जो तुम सम्भल जाते, आज मात्र एक वायरस पूरी दुनिया बना कालग्रास,कहर मचा रहा। अभी भी वक्त हैं सम्भल जा,बेवजह अति के लालच में मानव बुद्धि को नष्ट कर रहा, आने वाली पीढी को दीजिए सुनहरा भविष्य, वो अच्छे की कामना हैं कर रहा । 🌝प्रतियोगिता-68 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"एक नकाब यह भी"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I