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न जाने ऐसा क्या है मुझमे कि ज़ब भी मै शीशे को देखत

न जाने ऐसा क्या है मुझमे
कि ज़ब भी मै  शीशे को देखता हूँ
पथर हाथ मे उठा लेता हूँ
आज मुझे   मालूम हुआ है
कि शीशे और पथर की ये दुश्मनी
कोई सदियों से चली आ रही है

©Arora PR
  सहीशा  और पथर
arorapr7519

Arora PR

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सहीशा और पथर #कविता

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