लोगों के घर बना दिये अपनी दीवार बेचकर पराये मुल्क मे रहने से अच्छा बस्तियां बसा दिये बाजार बेचकर मुबारक हो शोहरत उनको जिनके घर ख़ून से रंगे है हमने तो बचा लिया अपनो को अपना किरदार बेचकर क्या भूखे की हकीकत बताता मैं खुद भूखा था कल जंग होनी थी रोटियां खिला दिया तलवार बेचकर mr . javed