धुंधली-धुंधली सी हैं यादें, बिखरीं-बिखरीं सी हैं सांसे कुछ कहना था तुमसे,तुमने सुनना न चाहा हमसे जताते हम रहे,परवाह कितनी हैं.. तुम थे कि मग़र होते हुए भी पता चला ख़ामोशी कितनी हैं कोशिशें करते रहे ,खुली किताब बनते रहे नाकामी की हद तो देखो ,तुम बस अपनी लिखते रहे शामें है सुहानी घटा मग़र, दिल की उदासी का क्या कहे सब कुछ हैं मग़र न जाने क्यों, इस तन्हाई का क्या कहे by-Kp #shayri #drd